प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को महाराजा सुहेलदेव की जंयती पर उनके स्मारक का शिलान्यास किया. प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में वर्चुअल तौर पर शामिल हुए. वहीं यूपी सरकार इस जंयती को बड़े स्तर पर मना रही है. उत्तर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर महाराजा सुहेलदेव को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस बार महाराजा सुहलदेव की जयंती को राजनीतिक रूप से काफी अहम माना जा रहा है. क्योंकि साल 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.
Prime Minister Narendra Modi lays the foundation stone of Maharaja Suheldev Memorial and development work of Chittaura Lake in Uttar Pradesh, via video conferencing.
CM Yogi Adityanath is also present at the event. pic.twitter.com/aK0YEpHVhV
— ANI (@ANI) February 16, 2021
महाराजा सुहेलदेव को राजभर समुदाय से जोड़ कर देखा जाता है और उत्तर प्रदेश की तकरीबन 40 सीटों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा राजपूतों का मानना है कि राजा सुहेलदेव राजपूत खानदान के थे. ऐसे में ये जानना दिलचस्प हो जाता है कि राजा सुहेलदेव कौन हैं.
श्रावस्ती के सम्राट-
इतिहासकारों के मुताबिक महाराजा सुहेलदेव 11वीं शताब्दी में श्रावस्ती के सम्राट थे. ऐसा माना जाता है कि राजा सुहेलदेव श्रावस्ती के राजा के बड़े पुत्र थे. भारत पर महमूद गजनवी ने जब आक्रमण किया था तब उसकी सेनाएं अलग-अलग होकर भारत में घुस रही थी. महमूद गजनवी के भांजे सैयद सालार मसूद गाजी ने सिंधु नदी को पार करते हुए भारत के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया था, लेकिन जब वह बहराइच की तरफ बढ़ा, तब उसे महाराजा सुहेलदेव के हाथों हार का सामना करना पड़ा.
इस बात का जिक्र 14वीं सदी में अमीर खुसरो की किताब ‘एजाज-ए-खुसरवी’ में मिलता है. इसके अलावा 17वीं सदी में फारसी भाषा में लिखी किताब ‘मिरात-ए- मसूदी’ में इसका जिक्र है. राजा सुहेलदेव को सकरदेव, सहीरध्वज, सुहीदिल, सुहरीदलध्वज, राय सुह्वीद देव सुसद और सुहारजल जैसे नामों से भी जाने जाते हैं.
अलग-अलग समुदायों का दावा-
उत्तर प्रदेश में कई जातियां महाराजा सुहेलदेव को अपना बताने की कोशिश करती हैं. मुख्य रूप से महाराजा सुहेलदेव को राजभर समुदाय का माना जाता है. इसके अलावा भर राजपूत, थारू और जैन राजपूत इन्हें अपने समुदाय का मानते हैं.
महाराजा सुहेलदेव के नाम पर वोटबैंक-
साल 1950 से साल 1960 के बीच स्थानीय नेताओं ने राजा सुहेलदेव को पासी राजा के तौर पर परिभाषित किया. उत्तर प्रदेश में पासी दलित समुदाय में आता है. बहराइच के आस-पास पासी समुदाय की संख्या ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और सुहेलदेव समाज पार्टी दलित वोटों को आकर्षित करने के लिए सुहेलदेव शब्दों का प्रयोग करती है. वहीं बीजेपी ने दलित वोटरों को लुभाने के लिए साल 1980 के दौरान मेले और नौटंकी का आयोजन कराने लगे. जिसमें राजा सुहेलदेव को मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ एक दलित विजेता के रूप में दिखाया.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बहराइच में राजा सुहेलदेव की मूर्ति का निर्माण करा रहे हैं.