महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की आज जयंती है. लाला लाजपत राय एक समाज सुधारक और महान समाज सेवी थे. अतुलनीय योगदान के कारण इन्हें पंजाब केसरी की उपाधि मिली थी. देश में पहला स्वदेशी बैंक खोलने का श्रेय इन्हें ही जाता है. लाला लाजपत राय की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित की. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, महान स्वतंत्रता सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन.
महान स्वतंत्रता सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन।
Remembering the great Lala Lajpat Rai Ji on his Jayanti. His contribution to India’s freedom struggle is indelible and inspires people across generations.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 28, 2021
लाला लाजपत राय कौन थे –
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ था. इनके पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद उर्दू के अध्यापक थे. लाला लाजपत राय ने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज का प्रचार प्रसार किया. साल 1880 में इन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी और पंजाब यूनिवर्सिटी की एक साथ प्रवेश परीक्षा पास की. साल 1882 में लाला लाजपत राय वकालत की प्रैक्टिस करने लगे. लाला लाजपत राय पेशे से वकील, लेखक और राजनेता थे.
पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना-
लाला लाजपत राय ने स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ मिलकर पंजाब में आर्य समाज को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई. लाला लाजपत राय ने साल 1894 में देश को पहला स्वदेशी बैंक दिया जिसका नाम पंजाब नेशनल बैंक रखा. लाला लाजपत राय ने महाराष्ट्र के लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और बंगाल के बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर गरम दल का निर्माण किया. उस वक्त इन तीनों की जोड़ी को लाल-बाल-पाल कहा जाता था.
साइमन कमीशन का विरोध-
अंग्रेज शासन का विरोध करने की वजह से लाला लाजपत राय को बर्मा के जेल में भेज दिया गया. जेल से रिहा होने के बाद ये अमेरिका चले गए. वहां से आने के बाद लाला लाजपत राय महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए.
साल 1927 में अंग्रेजों ने भारत में संविधान सुधार के लिए साइमन कमीशन का गठन किया. इस कमीशन का नाम इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के नाम पर रखा गया था. इस आयोग (कमीशन) में एक भी भारतीय नेता शामिल नहीं था. इसके विरोध में साइमन के भारत आने पर ‘साइमन गो बैक’ के नारे लगाए गए.
जब साइमन लाहौर पहुंचा तो विरोध में लाला लाजपत राय ने काले झंडे दिखाए. ब्रिटिश पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया. लाठीचार्ज के दौरान लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए. घायल अवस्था में लाला लाजपत राय ने कहा कि मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी अंग्रेजी राज के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी. इसके 18 दिनों बाद 17 नवंबर साल 1928 को आखिरकार लाला लाजपत राय की मौत हो गई.
लाला लाजपत राय की आकस्मिक मौत पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. इनकी मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू ने 17 दिसंबर साल 1928 को अंग्रेज पुलिस अधिकारी सांडर्स को गोली मार दी.