सम्राट अशोक के बहुत से शिलालेखों पर चक्र बना हुआ है इसे अशोक चक्र कहते हैं. ये चक्र “धर्मचक्र” का प्रतीक है. उदाहरण के लिये सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ पर अशोक चक्र है. 22 जुलाई साल 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को देश के झंडे के रुप में स्वीकार किया था. हमारे राष्ट्र ध्वज निर्माताओं ने जब इसका अंतिम रूप तैयार किया तो झंडे के बीच में से चरखे को हटाकर अशोक चक्र को स्थान दिया. आइये अब अशोक चक्र में दी गयी सभी 24 तीलियों का मतलब जानते हैं.
अशोक चक्र की 24 तीलियों का मतलब –
संयम (संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है)
आरोग्य (निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)
शांति (देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह)
त्याग (देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना)
शील (व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा)
सेवा (देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा)
क्षमा (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)
प्रेम (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)
मैत्री (समाज में मैत्री की भावना)
बन्धुत्व (देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना)
संगठन (देश की एकता और अखंडता को मजबूत रखना)
कल्याण (देश व समाज के लिये कार्यों में भाग लेना)
समृद्धि (देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना)
उद्योग (देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना)
सुरक्षा (देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)
नियम (निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना)
समता (समता मूलक समाज की स्थापना करना)
अर्थ (धन का सदुपयोग करना)
नीति (देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना)
न्याय (सभी के लिए न्याय की बात करना)
सहकार्य (आपस में मिलजुल कार्य करना)
कर्तव्य (अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना)
अधिकार (अधिकारों का दुरूपयोग न करना)
बुद्धिमत्ता (देश के लिए बौद्धिक विकास करना)
सम्राट अशोक के समय से शिल्प कलाओं के माध्यम से अशोक चक्र को अंकित किया गया था. धर्म-चक्र का अर्थ भगवन बुद्ध ने अपने अनेक प्रवचनों में अविद्या से दु:ख तक बारह अवस्थायें और दु:ख से निर्वाण (जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति) की बारह अवस्थायें बताई हैं.