भारत में रुपये का प्रचालन कब शुरू हुआ, नोट कहाँ और कैसे छापते हैं और भारतीय करेंसी से जुड़े कुछ फैक्ट्स जानिये जो शायद ही आपको पता होंगे–
रुपया और शेरशाह सूरी
भारत में रुपया शब्द का प्रयोग सबसे पहले मुग़ल शासक शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में किया था. भारत में नोटों को छापने का काम भारतीय रिजर्व बैंक और सिक्कों को ढालने का काम भारत सरकार करती है. सबसे पहले वाटर मार्क वाला नोट साल 1861 में देश में छपा था.
साल 1954 में आया था 10000, 5000 और 1000 का नोट
भारत में सबसे पहले साल 1954 में 10,000, 5,000 हजार और 1000 रुपए के नोट सर्कुलेशन में आए थे जिसे सरकार ने ब्लैकमनी रोकने के लिए 16 जनवरी साल 1978 में बंद कर दिया था. इसके 22 साल बाद भारत सरकार ने 1000 रुपये के नोट साल 2000 में चालू किये. भारतीय करेंसी पर हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 15 भाषाओं का प्रयोग होता है. भारत सहित आठ देशों की करेंसी को रुपया कहते हैं.
भारतीय करेंसी का नोट बनाने का तरीका
भारतीय रुपये नोट बनाने के लिए कॉटन से बने कागज और विशेष तरह की स्याही का प्रयोग होता है.अधिकाँश कागज़ होशंगाबाद के पेपर मिल और कुछ कागज़ मगज महाराष्ट्र के करेंसी नोट प्रेस में तैयार किया जाता है. इसके लिए जिस स्याही का प्रयोग किया जाता है उसे मध्य प्रदेश के देवास बैंक नोट प्रेस में तैयार किया जाता है. नोट में जो उभरी हुई छपाई दिखती है उसकी स्याही सिक्किम में स्विस फर्म की यूनिट सिक्पा में तैयार की जाती है.
जहाँ नोट छपते हैं
देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है. नोट प्रेस मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में है. देवास नोट प्रेस में साल में 265 करोड़ रुपए के नोट छपते हैं जिसमें 20, 50, 100, 500, रूपए के नोट छापे जाते हैं. मध्यप्रदेश के देवास में ही नोटों में प्रयोग होने वाली स्याही का प्रोडक्शन होता है.
करेंसी प्रेस नोट नासिक में साल 1991 से 1, 2, 5, 10, 50, 100 रुपए के नोट छापे जाते हैं. पहले यहां सिर्फ 50 और 100 रुपए के नोट ही छापे जाते थे लेकिन अब नासिक में 2000 और 500 के नए नोट भी छापे जा रहे हैं. मध्यप्रदेश के ही होशंगाबाद में सिक्योरिटी पेपर मिल है. नोट छपाई के पेपर होशंगाबाद और विदेश से आते हैं और 1000 रुपए के नोट मैसूर में छपते हैं.
भारतीय करेंसी रुपये छापने की प्रक्रिया
नोट छापने से पहले विदेश और होशंगाबाद से आई पेपर शीट को एक खास मशीन सायमंटन में डाली जाती है इसके बाद एक अन्य मशीन जिसे इंटाब्यू कहा जाता है उससे कलर किया जाता है. इसके बाद पेपर शीट पर नोट छप जाते हैं. इस प्रक्रिया के बाद अच्छे और खराब नोट की छटनी की जाती है. एक पेपर शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं. नोट छाटने के बाद उस पर चमकीली स्याही से संख्या मुद्रित की जाती है.
आरबीआई क्या करती है कटे–फटे नोटों का:
जब कोई नोट पुराना हो जाता है या फिर से मार्केट में सर्कुलेशन में लाने योग्य नहीं रहता है तो उसे बैंकों के जरिए जमा कर लिया जाता है. इन नोटों को फिर से मार्केट में नहीं भेजकर आरबीआई इसे नष्ट कर देती है. पहले इन नोटों को जला दिया जाता था लेकिन पर्यावरण को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए आरबीआई इन नोटों को हाल में ही विदेश से 9 करोड़ रुपए की लागत से आयात की गई मशीन से छोटे–छोटे टुकड़ों में काट देती है जिसे गलाकर ईंट बनाया जाता है और जिसका इस्तेमाल कई कामों में होता है.